PILES IN HINDI-A COMPLETE GUIDE / बवासीर हिंदी में

PILES IN HINDI

नमस्कार दोस्तों!  आज हम बात करेंगे Piles in Hindi में, जिसे बवासीर भी कहा जाता है।

इसे बवासीर, और गुदा (Anus) और मलाशय (Rectum) की वैरिकाज़ नसों (Varicose Veins) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक सामान्य स्थिति है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। अनुमान है कि भारत में लगभग 40% आबादी बवासीर रोग से पीड़ित है।

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इसकी व्यापकता के बावजूद, बहुत से लोग अभी भी इस बात से अनजान हैं कि “बवासीर” रोग क्या है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है। इस लेख में, हम बवासीर रोग पर हिंदी में विस्तार से चर्चा करेंगे और बवासीर के कारण और लक्षणों के बारे में आपको सभी जानकारी प्रदान करेंगे जो आपको जानना बहुत जरूरी है जिससे आप समय रहते बीमारी को पहचान सकें।

पाइल्स को बवासीर (Hemorrhoids) के रूप में भी जाना जाता है। PILES में गुदा और निचले मलाशय की नसों में सूजन आ जाती है। Hemorrhoids मलाशय के अंदर होते हैं तो उनको आंतरिक बवासीर कहा जाता हैं  या गुदा के आसपास की त्वचा में होते हैं उसे  बाहरी बवासीर कहा जाता हैं।

बवासीर के सामान्य लक्षणों में मल त्यागने के दौरान खून आना और दर्द, गुदा क्षेत्र में गांठों का होना शामिल होता है।

बवासीर के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में कब्ज, गर्भावस्था, मोटापा, लगातार दस्त आना , लंबे समय तक शौचालय में बैठे रहना और भारी वस्तुओं को उठाने के लिए बहुत जोर लगाना शामिल हैं।

ज्यादातर मामलों में, जीवनशैली में बदलाव और स्वयं की देखभाल के साथ घरेलु उपचार से भी बवासीर ठीक हो जाती है, जिसमें उच्च फाइबर वाला आहार खाना, हाइड्रेटेड रहना, अपने वजन को कोंट्रोल रखना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और अत्यधिक तनाव से बचना शामिल है।

कुछ मामलों में जब बवासीर गंभीर रूप धारण कर लेती हैं या इसका आकार बहुत बड़ा हो जाता हैं तो  सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

बवासीर आमतौर पर 45 से 65 वर्ष के बीच के वयस्क लोगों में  देखा जाता है  यह बीमारी पुरूष और स्त्री दोनों में देखी जा सकती हैं इसमें हमारे शरीर के दो अंग गुदा और मलाशय शामिल होते हैं।

कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं जो PILES के सामान ही दिखती हैं:-

गुदा के आस-पास फ़ोड़ा होना  (Perianal Abscess)

नासूर (Canker Sores)

गुदा/मलाशय का कैंसर (Anal/Rectal cancer)

गुदा में होने वाली दरारें (Anal Fissures)

एनोरेक्टल फोड़े (Anorectal Abscess)

प्रोक्टाइटिस (Proctitis)

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 बवासीर के प्रकार (Types of piles)

बवासीर को चार मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. आंतरिक बवासीर (Internal Hemorrhoids)-PILES IN HINDI

इस प्रकार के Hemorrhoids मलाशय के भीतर गुदा और निचले मलाशय की परत में विकसित होते हैं। अपने स्थान के कारण, वे दिखाई नहीं देते हैं और अक्सर लक्षणहीन रहते हैं। ज्यादातर मामलों में, वे अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।

हालाँकि, बड़े Hemorrhoids कई लक्षण पैदा कर सकते है जैसे दर्द, खुजली, जलन, मलाशय से खून आना आदि।

  1. बाहर निकली हुई बवासीर (Protruding piles)-PILES IN HINDI

मल त्यागने या गुदा पर दबाव डालने से आंतरिक Hemorrhoids गुदा द्वार में धकेल दी जाती है, जिससे आगे बढ़े हुए बवासीर (Prolapsed Hemorrhoids) का निर्माण होता है। इन Hemorrhoids को उनके size के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

Grade 1: इस चरण में, आंतरिक Hemorrhoids गुदा नलिका में उभर आती है लेकिन आगे नहीं बढ़ती है।

Grade 2: इसमें मलाशय या गुदा क्षेत्र में शौच के दौरान बढ़े हुए दबाव के कारण सूजन वाली नसें  आगे बढ़ जाती है। मल त्यागने के बाद उभरी हुई बवासीर अपने आप ही कम हो जाती है। क्योंकि उनके अंदर भरा हुआ pus अपने आप निकल जाता हैं।

Grade 3: यह ग्रेड ग्रेड 2 के समान ही है, सिवाय इसके कि इस मामले में, गांठे अपने आप अंदर नहीं जाती है। इसके बजाय, उन्हें मैन्युअल कटौती की आवश्यकता होती है। इसमें मलाशय या गुदा क्षेत्र में शौच के दौरान बढ़े हुए दबाव के कारण गांठे बाहर आ जाती हैं। जिन्हे या तो Surgery द्वारा काट कर अलग कर दिया जाता हैं या वापस से अंदर धकेला जाता हैं।

Grade 4: प्रोलैप्स (Prolapse) Hemorrhoids को वापस उनकी सामान्य स्थिति में नहीं लाया जा सकता है और इससे तीव्र और अचानक दर्द होता है।

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  1. बाहरी बवासीर (External Piles)-PILES IN HINDI

बवासीर शब्द सुनते ही ज्यादातर लोग बाहरी बवासीर के बारे में सोचते हैं। ये दिखाई देने वाली गांठें हैं जो गुदा के आसपास की त्वचा के नीचे बनती हैं। वे अपनी बाहरी उपस्थिति के कारण अधिक गंभीर दर्द का कारण बनते हैं जो बैठने आदि जैसी दैनिक गतिविधिया  भी बाधित होने लगती हैं।

  1. थ्रोम्बोस्ड बवासीर (Thrombosed Hemorrhoids)-PILES IN HINDI

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह रक्त के थक्के के साथ आंतरिक या बाहरी बवासीर को संदर्भित करता है जिसे थ्रोम्बस (Thrombus)  कहा जाता है। यह आमतौर पर ना ठीक हो सकने वाली बवासीर है और तीव्र दर्द, जलन, खुजली, लालिमा और सूजन जैसे अधिक गंभीर लक्षणों का कारण बनती है।

 बवासीर के लक्षण (symptoms of piles)-PILES IN HINDI

बहुत से लोगों को शुरू में कोई लक्षण महसूस न होने के कारण पता ही नहीं चलता कि उन्हें बवासीर है। किसी बीमारी का पता लगाने के लिये हमें उसके लक्षणों का सही से पता होना चाहिये बवासीर के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं :-

मल त्यागने के दौरान खून आना

PROLAPSE  (मल त्यागने के दौरान त्वचा का बाहर निकलना)

मल त्यागने के दौरान दर्द या जलन होना।

गुदा क्षेत्र में खुजली होना।

गुदा क्षेत्र में गांठों की उपस्थितिहोना, ये गांठे मल त्यागने केदौरान बाहर निकल आती हैं जिन्हे  बाद में  पीछे धकेलने की आवश्यकता हो सकती है।

गुदा के आसपास के क्षेत्र का लाल हो जाना और सूजन होना

मल रिसाव (मल त्याग को नियंत्रित करने में असमर्थता, जिसके कारण मलाशय से मल अप्रत्याशित रूप से रिसने लगता है)

शौचालय जाने के बाद भी अधूरा शौच महसूस होना।

मल त्यागने के लिए लंबे समय तक बैठे रहना।

पेट में दर्द।

यदि आपको इन लक्षणों में से कोई भी हो, तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

ये लक्षण आमतौर पर मल त्यागने के लिए बहुत अधिक जोर लगाना, रगड़ने और गुदा के आसपास सफाई करने से खराब हो जाते हैं।

बवासीर को अक्सर कुछ अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों (Gastrointestinal Disorders)  के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि बवासीर के कुछ लक्षण जैसे पेट में दर्द होना , सूजन और खून आना  अन्य चिकित्सीय स्थितियों से भी मिलते जुलते हैं?

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बवासीर होने के कारण (Causes of Piles)

वैसे तो बवासीर होने का कोई एक कारण नहीं होता हैं ये कारण हर व्यक्ति में अलग होते हैं फिर भी यहाँ कुछ कारण दिये गए हैं:-

अनुवांशिकता (Heredity):-PILES IN HINDI

Piles की बीमारी का एक कारण अनुवांशिकता भी हो सकती हैं कुछ लोगों में यह रोग पीढ़ियों तक चलता रहता हैं

अधिक उम्र (Older age):-PILES IN HINDI

उम्र का अधिक होना भी बवासीर का कारण होता हैं। उम्र ज्यादा होने के कारण गुदा की माँसपेसिआ कमजोर होने लगती हैं। व्यक्ति उन पर नियंत्रण नहीं रख पाता हैं। जिसके कारण गुदा नलिका में बवासीर की गांठे होने लगती हैं और नियंत्रण खोने के कारण मल का रिसाव भी होने लगता हैं।

मोटापा (Obesity) :-PILES IN HINDI

Obesity बहुत सारी बिमारिओं की जड़ मानी जाती हैं उनमे से एक बवासीर भी होती हैं।  शरीर का वज़न बढ़ने के कारण गुदा द्वार पर दबाव बढ़ने लगता हैं। जिसके कारण मांसपेशिया बाहर आने लगती हैं और गांठ का रूप ले लेती हैं। गुदा द्वार पर सूजन और लालिमा भी बढ़ने लगती हैं।

गर्भावस्था (Pregnancy):-PILES IN HINDI

महिलाओं में बवासीर ज्यादातर Pregnancy में होती हैं। क्योंकि इसके कारण गर्भाशय का आकार बढ़ने लगता हैं और सारा दबाव निचे की तरफ गुदा द्वार पर पड़ता हैं। जिसके कारण गुदा द्वार की मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता हैं। खिचाव के कारण गुदा द्वार पर सूजन भी रहने लगती हैं।

प्रेग्नन्सी में ख़ासकर अंतिम 3 महीनों में दबाव के कारण स्त्रियों को मल त्यागते वक़्त बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।

कब्ज (Constipation):-PILES IN HINDI

ज्यादातर मामलों में कब्ज़ बवासीर होने का एक मुख्य कारण होता हैं। कब्ज़ होने का मुख्य कारण हमारे शरीर में पानी की कमी होना होता हैं। जिसके कारण मल सूख जाता हैं और उसमे गांठे बनने लगती हैं।

सूखे और गांठदार मल को शरीर से बाहर निकालने के लिये ज्यादा जोर लगाना पड़ता हैं। जिसके कारण सूखा हुआ मल गुदा द्वार की मांसपेशियों को फाड़ता हुआ निकलता हैं। जिसके कारण गुदा द्वार में घाव हो जाते हैं, जिससे बवासीर का विकास होता हैं।

अधिक वज़न उठाना (lifting more weight):-PILES IN HINDI

कई बार क्षमता से अधिक वज़न उठाने से भी बवासीर की समस्या पैदा हो जाती हैं। क्षमता से अधिक वज़न उठाने के कारण हमारे गुदा द्वार की मांसपेशियों में खिचाव या तनाव आ जाता हैं और वहां पर सूजन आ जाती हैं। जो वक्त गुजरने के साथ साथ बवासीर का रूप धारण करने लगती हैं।

ज्यादा देर तक एक स्थान पर बैठे और खड़े रहने से भी बवासीर की समस्या उत्पन्न होने लगती हैं। जैसे जिन लोगों का काम ज्यादातर Motorcycle से होता हैं या ज्यादा Sitting का काम होता हैं। ऐसे लोगों में भी बवासीर होने की संभावना ज्यादा रहती हैं।

बवासीर के लिए जोखिम कारक (Risk Factors for Hemorrhoids)

कोई भी ऐसी स्तिथि जो लंबे समय तक निचले मलाशय में दबाव बढ़ा सकती है, उससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है। विभिन्न जोखिम कारकों पर नीचे चर्चा की गई है:-

  1. लंबे समय तक कब्ज रहना (Prolonged Constipation)-PILES IN HINDI

लंबे समय तक कब्ज रहने से गुदा द्वार में तनाव की संभावना बढ़ जाती है। जिससे गुदा और निचले मलाशय की नसों में सूजन हो सकती है। इससे बवासीर हो सकता है।

कब्ज में मल सूखा और गांठदार हो जाता हैं। जिसके कारण मल त्यागते वक्त ज्यादा जोर लगाना पड़ता हैं। इस जोर लगाने के कारण गुदा द्वार में सूजन आने लगती हैं जो बवासीर का कारण बनती हैं।

  1. उम्र (Age) -PILES IN HINDI

बढ़ती उम्र में बवासीर होने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, गुदा द्वार की मांसपेशियों के तंतु जो सामान्य रूप से मौजूदा बवासीर को सहारा देते हैं, कमजोर हो जाते हैं। जो अंदरूनी Hemorrhoids के वज़न को रोक नहीं पाते हैं। जो बवासीर के बढ़ने का कारण बन सकता है।

  1. आहार (Diet) – PILES IN HINDI

बवासीर की स्तिथि को बढ़ाने या घटाने में हमारे द्वारा लिये गये आहार का बहुत महतवपूर्ण स्थान होता हैं। कम फाइबर वाले आहार से मल सख्त और गांठदार हो जाता है। जिसके कारण मल त्यागते वक्त गुदा द्वार में खिंचाव और तनाव आने  की संभावना बढ़ जाती है।

लगातार तनाव या खिंचाव होने के कारण  मांसपेशियों को नुकसान पहुँचता हैं जो  बवासीर का कारण बन सकता है।

  1. लगातार दस्त (Chronic Diarrhea) – PILES IN HINDI

क्रोनिक डायरिया से भी बवासीर का खतरा बढ़ जाता है। National Library of Medicine द्वारा किये गये एक अध्ययन में, कोलाइटिस (Colitis) , कुअवशोषण (Malabsorption) , आंतों के बाईपास (Intestinal Bypass) और दस्त संबंधी स्थितियों से पीड़ित रोगियों में बवासीर होने का खतरा अधिक था।

  1. अधिक वजन/मोटापा – PILES IN HINDI

विशेष रूप से पेट या मध्य क्षेत्र में अतिरिक्त वजन गुदा नसों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे बवासीर हो सकता है।

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