नमस्कार दोस्तों ! आज हम बात करेंगे CERVICAL PAIN IN HINDI के बारे में आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा हैं हमारी जीवनशैली हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं हमारे खाने पीने की आदतें, हमारा उठने, बैठने और चलने का तरीका हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता हैं
हमारे शरीर में कई छोटी छोटी बीमारियां तो ऐसी हैं जो हमारी जीवनशैली के कारण ही होती हैं उनमे से एक हैं CERVICAL PAIN यानि गर्दन में होने वाला दर्द हमारे गलत तरीके से सोने या काम करने से यह ज्यादातर उत्पन्न होता हैं हम अक्सर गर्दन दर्द होने पर PAIN
CERVICAL PAIN IN HINDI
KILLER ले लेते हैं परन्तु ज्यादा समय तक लगातार गर्दन में दर्द रहना गंभीर समस्या पैदा कर सकता हैं
सर्विकल पेन (Cervical Pain) का मतलब होता है गर्दन में होने वाला दर्द। यह दर्द आमतौर पर गर्दन के पीछे की ओर से शुरू होकर ऊपरी बैक और कंधों तक फैल सकता है। यह एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। इस लेख में हम सर्विकल पेन के कारण, लक्षण, उपचार और इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानेंगे।
सर्विकल पेन के कारण (Causes of Cervical pain):- CERVICAL PAIN IN HINDI
गलत पोस्चर (Wrong posture)
गलत पोस्चर में बैठना या सोना सर्विकल पेन के प्रमुख कारणों में से एक है। अगर आप लंबे समय तक एक ही पोस्चर में बैठे रहते हैं, तो इससे आपकी गर्दन के मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
पोस्चर (Posture), हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। सही पोस्चर ना सिर्फ हमें आकर्षक दिखने में मदद करता है, बल्कि यह हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गलत पोस्चर (Wrong Posture) के कारण होने वाले सर्वाइकल दर्द (Cervical Dard) का खतरा होता है, जिसका मतलब होता है कि आपको गर्दन दर्द (Gardan Dard) हो सकता है।
सबसे पहले, हमें समझना आवश्यक है कि कैसे गलत पोस्चर से सर्वाइकल दर्द होता है? अधिकांश लोग गलत पोस्चर में बैठने के कारण गर्दन दर्द के शिकार हो जाते हैं , जैसे कि मोबाइल फोन की स्क्रीन को देखते समय, कंप्यूटर का काम करते समय या गलत पोस्चर में बाइक चलाना ।
यह गलती करने से, हमारी गर्दन की मांसपेशियाँ तंग हो जाती हैं और उनमे खिचाव आ जाता हैं और दर्द होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, लापरवाही से गलत तरीके से बैठने की वजह से भी सर्वाइकल दर्द हो सकता है।
सही पोस्चर का पालन करने से सर्वाइकल दर्द की समस्या से बचा जा सकता है।
जैसे:-
जब भी आप बैठे, अपनी पीठ को सीधे रखें इसके लिए किसी कुर्सी का उपयोग कर सकते हैं । आपके पैर जमीन पर जरूर छूने चाहिये और आपकी गर्दन हमेशा सीधी रहनी चाहिए।
सर्वाइकल दर्द से बचने के लिये हमें सही स्क्रीन का उपयोग करना चाहिये और सही ढंग से करना चाहिये जैसे मोबाइल फोन या कंप्यूटर का उपयोग करते समय स्क्रीन को आपकी आँखों के स्तर पर रखें, ताकि आपकी गर्दन को झुकने की आवश्यकता ना हो।
व्यायाम से हम सर्वाइकल दर्द से निजात पा सकते हैं। नियमित व्यायाम करने से आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत रहेगी, पोस्चर सही रहेगा और सर्वाइकल दर्द का खतरा कम होगा। नियमित व्यायाम करने से पहले किसी पेशेवर की सलाह जरूर लेनी चाहिये ।
लंबे समय तक एक ही पोज़िशन में बैठने से गर्दन में तनाव बढ़ सकता है। इसलिये काम के बीच में थोड़ा आराम ले लेना चाहिये जैसे अगर आप लम्बे समय से एक स्थान पर बैठे हैं तो उठकर थोड़ा घूमना चाहिये जिससे आपकी रीढ़ और मांसपेशिओं को आराम मिलता हैं ।
सही पोस्चर का पालन करके आप सर्वाइकल दर्द या गर्दन दर्द से बच सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन की तरफ़ कदम बढ़ा सकते हैं।
मोबाइल फोन और कंप्यूटर (Mobile phones and computers)
आधुनिक तकनीकी उन्नतियों के साथ, हमारे जीवन की रैफल में बड़ी परिवर्तन हुआ है। मोबाइल फोन और कंप्यूटर ने हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाया है, लेकिन इसके साथ ही यह हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नए चुनौतियों का कारण भी बन गए हैं, जैसे कि सर्वाइकल दर्द।
मोबाइल फोन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, लेकिन उसका अत्यधिक उपयोग सर्वाइकल दर्द या गर्दन दर्द के खतरे को बढ़ा देता है। आमतौर पर हम मोबाइल फोन का उपयोग करते समय गर्दन को झुकाकर रखते हैं, जिससे गर्दन की मांसपेशियों में तनाव आ जाता हैं । इसलिये लंबे समय तक बैठकर फोन या टैबलेट के साथ समय बिताने से सर्वाइकल दर्द का खतरा बढ़ जाता है।
कंप्यूटर का भी लम्बे समय तक उपयोग करना और एक ही पोज़िशन में बैठकर काम करना सर्वाइकल दर्द को बढ़ा सकता है। अधिकांश लोग लंबे समय तक कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं, जिससे उनकी गर्दन की मांसपेशियों में तनाव आ जाता हैं और सर्वाइकल दर्द हो जाता है।
सुरक्षा उपाय:-
मोबाइल फोन और कंप्यूटर का उपयोग करते समय सही पोस्चर बनाए रखना महत्वपूर्ण है। गर्दन को सीधे और अंदर की ओर रखें, जिससे गर्दन की मांसपेशियों में तनाव कम से कम हो।
लंबे समय तक एक ही पोज़िशन में न बैठें। थोड़ी देर के बाद उठें और थोड़ी देर तक चलें या लेट कर आराम करें ।
सर्वाइकल दर्द से बचने के लिये हमें अपनी आदतें सुधारनी चाहिये। मोबाइल फोन और कंप्यूटर का अत्यधिक उपयोग कम करने की कोशिश करें। जरूरत के समय ही उपयोग करें।
गर्दन दर्द या सर्वाइकल दर्द से राहत पाने में व्यायाम की महतवपूर्ण भूमिका होती हैं। नियमित व्यायाम करने से गर्दन की मांसपेशियाँ मजबूत रहेंगी और सर्वाइकल दर्द का खतरा कम होगा।
इस तरह, हम मोबाइल फोन और कंप्यूटर के साथ अच्छे स्वास्थ्य का ध्यान रखकर सर्वाइकल दर्द से बच सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
स्पोर्ट्स इंजुरी (Sports Injury):- Cervical Pain in Hindi
स्पोर्ट्स में होने वाली चोटें या अचानक किये गए गतिविधियां भी सर्विकल पेन का कारण बन सकती है।
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खेल न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य का सुरक्षित निर्माण करता है, बल्कि व्यक्ति के मानसिक स्थिति को भी सुधारता है। हालांकि, खेलते समय गलत तरीके से की गई गतिविधियों की वजह से चोट आने का खतरा होता है, जो अक्सर सर्वाइकल (गर्दन) दर्द का कारण बन सकता हैं।
खेलने से हमारे शारीर को स्वस्थ्य रहने के लिए बहुत सारे फायदे मिलते हैं, लेकिन कई बार ये खेल के दौरान चोटें भी लग जाती हैं। गिरने, टकराने, जानवरों के साथ खेलते समय अनजाने में चोट लगना सामान्य बात है। यह चोटें मांसपेशियों और हड्डियों में नुकसान पहुंचा सकती हैं और सर्वाइकल दर्द का कारण बन सकती हैं।
सर्वाइकल दर्द गर्दन के पीछे की ओर होने वाले दर्द को कहते हैं, जो अक्सर गलत तरीके से खेलते समय होता है। अगर आप खेल के दौरान सही तरीके से नहीं खुद को रखते हैं, तो आपकी गर्दन की मांसपेशियों या रीढ़ की हड्डी में तनाव बढ़ सकता है, जिससे सर्वाइकल दर्द हो सकता है।
खेलने से पहले और खत्म होने के बाद ध्यानपूर्वक वार्म-अप और कूल डाउन करना महत्वपूर्ण है। यह सर्वाइकल दर्द और चोट के खतरे को कम कर सकता है।
हेलमेट, जूते, किट आदि का प्रयोग करना खेलने के दौरान अपनी सुरक्षा में मदद कर सकता है।
खेलना अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन सुरक्षा को महत्व देना भी आवश्यक है। सही तरीके से खेलने और सुरक्षा के उपायों का पालन करके हम सर्वाइकल दर्द और खेल के दौरान चोटों के खतरे को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ और सुरक्षित खेलने का आनंद उठा सकते हैं।
उम्र (Age) :-Cervical Pain in Hindi
जीवन के प्रत्येक चरण में, हमारी आयु का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। बढ़ती आयु के साथ, सभी शारीरिक और मानसिक प्रक्रियाएँ बदलती जाती हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें से एक है सर्वाइकल दर्द या गर्दन दर्द ।
आयु के अनुसार हमारे शारीर में कई बदलाव होते हैं, जिनमें मांसपेशियों की कमी, हड्डियों की कमजोरी और फिब्रोज़ इन्फिल्ट्रेशन (fibrous infiltration) शामिल हैं, जो सर्वाइकल दर्द के कारण बन सकते हैं। यह सामान्यत: उम्र के साथ बढ़ते हैं और उसका प्रभाव हमारी गर्दन पर सबसे ज्यादा होता है।
जैसे-जैसे हमारी आयु बढ़ती है, हमारे शरीर में मांसपेशियों की कमी होने लगती है जिससे गर्दन में तनाव बढ़ सकता है और सर्वाइकल दर्द का खतरा बढ़ सकता है।
आयु बढ़ने पर हड्डियों की मजबूती में कमी हो सकती है, जिससे गर्दन की हड्डियों में जोड़ की स्थिति में परिवर्तन हो सकता है, जिससे सर्वाइकल दर्द होने का खतरा बढ़ सकता है।
फिब्रोज़ इन्फिल्ट्रेशन: ज्यादातर वृद्धावस्था में, गर्दन के हड्डियों के बीच फाइब्रोज़ इन्फिल्ट्रेशन हो सकती है, जिससे गर्दन में दर्द या तनाव का अहसास हो सकता है।
कुछ उपाय हैं जिनको अपनाकर सर्वाइकल दर्द से राहत मिल सकती हैं :
आयु बढ़ने पर भी सही पोस्चर का पालन करें, और गलत तरीके से नहीं बैठना,उठना और चलना चाहिये ।
स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए नियमित व्यायाम करना महत्वपूर्ण है। इसमें योग बहुत महत्वपूर्ण हैं
अच्छी नींद लेना हमारे शारीर के लिए आवश्यक है, जिससे गर्दन को विश्राम मिल सके।
आयु और सर्वाइकल दर्द के बीच एक संबंध हो सकता है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली का पालन करके हम सर्वाइकल दर्द के खतरे को कम कर सकते हैं और उम्र के साथ भी स्वास्थ्यपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
बढ़ता हुआ स्ट्रेस (Increasing Stress)-Cervical Pain in Hindi
तनाव और चिंता सर्विकल पेन के लिए मुख्य कारणों में से एक हो सकते हैं। ज्यादा स्ट्रेस के कारण गर्दन के मांसपेशियों में तनाव बढ़ सकता है और इससे सर्विकल पेन हो सकता है।
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आधुनिक जीवनशैली और तकनीकी विकास के साथ-साथ आने वाली चुनौतियों ने मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याओं को बढ़ावा दिया है। विशेष रूप से, सर्वाइकल दर्द जैसे शारीरिक दर्द भी आजकल के तनावपूर्ण जीवन में एक आम समस्या बन गई है।
मानव शरीर एक अत्यधिक संघटित और संयमित संरचना है, जिसमें तंत्रिका प्रणाली (Nervous System) , मांसपेशियाँ (Muscles) और हड्डियाँ (Bones) एक समन्वित तरीके से काम करती हैं। मानसिक तनाव के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में तंत्रिका प्रणाली में असंतुलन हो सकता है, जिससे सर्वाइकल दर्द की संभावना बढ़ जाती है।
मानसिक तनाव के कारण शरीर की मांसपेशियों में अत्यधिक तनाव हो सकता है, जो सर्वाइकल क्षेत्र में दर्द का कारण बन सकता है।
तनावपूर्ण समय में, लोग अक्सर अपने खाने-पीने की आदतों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे पोषण की कमी हो सकती है। यह भी सर्वाइकल दर्द को बढ़ावा दे सकता है।
आजकल के काम के वातावरण में लोग अक्सर लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, जिससे उनकी पीठ और गर्दन में दर्द हो सकता है, जो सर्वाइकल दर्द का प्रमुख कारण बन सकता है।
मानसिक तनाव कम करने के तरीक़े:
योग और प्राणायाम के अभ्यास से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे सर्वाइकल दर्द की संभावना कम हो सकती है।
स्वस्थ और बैलेंस्ड आहार लेना बहुत महत्वपूर्ण है। फल, सब्जी, पूरे अनाज, प्रोटीन, और पर्याप्त पानी पीना सर्वाइकल दर्द को कम कर सकता है।
नियमित व्यायाम से शारीरिक समस्याओं को कम किया जा सकता है, जिससे सर्वाइकल दर्द की संभावना कम हो सकती है।
संक्षिप्त में, मानसिक तनाव और सर्वाइकल दर्द के बीच गहरा संबंध हो सकता है। सही जीवनशैली, स्वस्थ आहार और योगाभ्यास से इस समस्या को कम किया जा सकता है और एक स्वस्थ जीवन जीने का आनंद ले सकते है।
अन्य कारण (other reason)- Cervical Pain in Hindi
कई बार सर्वाइकल पेन रोजमर्रा की साधारण गतिविधियों के दौरान भी हो सकता है। जैसे कि एकदम अचानक से किसी दिशा में घूमना, एक्सरसाइज़ करने के दौरान, या फिर किसी भारी वस्तु को उठाते समय भी गर्दन दर्द या सर्वाइकल पैन हो सकता हैं ।
इसके अलावा भी कुछ ऐसी मेडिकल अवस्थाएं हैं जो सर्वाइकल पेन का कारण बन सकती हैं। इनमें शामिल हैं रूमेटॉइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis), मेनिंगाइटिस (meningitis), कैंसर(cancer), या ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), आदि।
सर्विकल पेन के लक्षण (Symptoms of Cervical Pain):- Cervical Pain in Hindi
दर्द (Pain):
गर्दन में दर्द सर्विकल पेन का प्रमुख लक्षण होता है। यह दर्द गर्दन के पीछे से शुरू होकर ऊपरी बैक और कंधों में फैल सकता है।
सुन्नता और झनझनाहट(Numbness and Tingling):-
गर्दन में सुन्नता और झनझनाहट का अहसास हो सकता है।
मांसपेशियों में अकड़न( Muscle Stiffness):-
सर्विकल पेन के कारण मांसपेशियों में अकड़न या तनाव की स्थिति हो सकती है।
सिर दर्द और चक्कर (Headache & Dizziness):-
सर्विकल पेन के कारण सिर में दर्द और चक्कर आने की समस्या भी हो सकती है।
सर्विकल पेन का उपचार (Treatment of Cervical Pain):- Cervical Pain in Hindi
विश्राम और पोस्चर की सुधार (Relaxation and correction of posture)
सर्विकल पेन में आराम लेना महत्वपूर्ण है। सही पोस्चर बनाए रखने के लिए भी ध्यान देना चाहिए।
व्यायाम (Exercise) :-
गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए व्यायाम करना फायदेमंद होता है।
व्यायाम से हम सर्वाइकल दर्द से निजात पा सकते हैं। नियमित व्यायाम करने से आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत रहेगी, पोस्चर सही रहेगा और सर्वाइकल दर्द का खतरा कम होगा। नियमित व्यायाम करने से पहले किसी पेशेवर की सलाह जरूर लेनी चाहिये ।
गर्म पानी का इस्तेमाल (Use of hot water)
गर्म पानी की बोतल को गर्दन के दर्द वाले हिस्से पर रखना आराम पहुंचा सकता है। इससे दर्द वाले हिस्से की सिकाई होती हैं और हमें दर्द से आराम मिल जाता हैं।
दवाएँ (Medicines) :-
अगर दर्द ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह पर पेन किलर दवाएँ लेना सही हो सकता है।
फिजियोथेरेपी (Physiotherapy):-
फिजियोथेरेपी के द्वारा मांसपेशियों को मसाज करने और ट्रेन करने से भी सर्विकल पेन में आराम मिल सकता है।
सर्विकल पेन का बचाव(Prevention of Cervical Pain):
सही पोस्चर (Correct Posture):-
सही पोस्चर बनाए रखने से सर्विकल पेन से बचा जा सकता है।
सही तरीके से सोना (Sleep properly) :-
सही तरीके से सोना भी सर्विकल पेन से बचाव के लिए महत्वपूर्ण होता है। समुद्र-तट पोस्चर सोने के लिए अच्छा माना जाता है।
स्ट्रेस प्रबंधन (Stress Management) :
स्ट्रेस को सही तरीके से प्रबंधित करना भी सर्विकल पेन से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है। ध्यान, योग और आरामपूर्ण गतिविधियां स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकती है।
डॉक्टर से मिलने के लिए अपॉइंटमेंट लें यदि आप :- Cervical Pain in Hindi
गर्दन में चोट के बाद लगातार दर्द का अनुभव करें
हाथ या पैर में कमजोरी महसूस होना
चलने में परेशानी होती है
तेज बुखार हो जाना
गर्दन में अकड़न ज्यादा है
सिरदर्द, सुन्नता या झुनझुनी होना
दर्द महसूस होना जो कई हफ्तों तक बना रहता है
स्व-उपचार के बावजूद लक्षणों के बदतर होने पर ध्यान दें
दर्द का अनुभव करें जो एक या दोनों हाथों या पैरों तक फैलता है
निष्कर्षण:- Cervical Pain in Hindi
सर्विकल पेन एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो गलत पोस्चर, दुर्बल मांसपेशियाँ, स्पोर्ट्स इंजुरी और उम्र के साथ बढ़ते तनाव के कारण हो सकती है। सर्विकल पेन के लक्षण में गर्दन में दर्द, सुन्नता, झनझनाहट और मांसपेशियों में अकड़न शामिल हो सकते हैं। इसका उपचार विश्राम, व्यायाम, गर्म पानी का इस्तेमाल, दवाएँ और फिजियोथेरेपी से किया जा सकता है। सर्विकल पेन से बचाव के लिए सही पोस्चर, व्यायाम, सही तरीके से सोना और स्ट्रेस प्रबंधन का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
ध्यान दें कि यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है और किसी भी चिकित्सा निदान या उपचार की जगह नहीं ले सकता। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह पर आदर्शित होना चाहिए।
FREQENTLY ASKED QUESTIONS:- Cervical Pain in Hindi
प्रश्न: सर्वाधिक कौन से कारणों से सर्वाइकल पेन होता है?
उत्तर: सर्वाइकल पेन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि गर्दन की मांसपेशियों का तनाव, लगातार बहुत देर तक बैठकर काम करना, गर्दन की चोटें, या गर्दन की सही पोजिशन की कमी।
प्रश्न: सर्वाइकल पेन का उपचार क्या हो सकता है?
उत्तर: सर्वाइकल पेन का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। यह दवाइयों, व्यायाम, थैरेपी, या सर्जरी के जरिए भी हो सकता है। डॉक्टर की सलाह लें और खुद से इलाज न करें।
प्रश्न: सर्वाइकल पेन से बचाव के उपाय क्या हैं?
उत्तर: सर्वाइकल पेन से बचाव के लिए सही पोजिशन में बैठना और खड़े होना महत्वपूर्ण है। नियमित व्यायाम करना, आराम करना, सही पोस्चर में बैठना या उठना मददगार हो सकता है।
प्रश्न: क्या व्यायाम सर्वाइकल पेन को कम करने में मदद कर सकता है?
उत्तर: हां, सही प्रकार के व्यायाम सर्वाइकल पेन को कम करने में मदद कर सकते हैं। व्यायाम से गर्दन की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और उन्हें आराम मिलता है।
प्रश्न: क्या सर्जरी से सर्वाइकल पेन का इलाज किया जा सकता है?
उत्तर: हां, अगर सर्वाइकल पेन काफी गंभीर हो और अन्य उपाय नहीं काम करते हो, तो सर्जरी का विचार किया जा सकता है। लेकिन यह डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।
प्रश्न: सर्वाइकल पेन में कब चिकित्सक से मिलना चाहिए?
उत्तर: अगर सर्वाइकल पेन लंबे समय तक बना रहता है या असहनीय हो तो, तो डॉक्टर से मिलना चाहिए।
धन्यवाद
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